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Friday, July 5, 2019

एक इन्वेंटरी क्या है? what is inventory? in hindi









इन्वेंट्री का क्या मतलब है?
किसी निर्माता या खुदरा विक्रेता के वर्तमान स्टॉक की मात्रा या मूल्य। इसमें कच्चे माल और भागों को शामिल किया जा सकता है जिनका उपयोग बाद में विनिर्माण प्रक्रिया में किया जाएगा। इन्वेंट्री का प्रबंधन व्यवसाय के सुचारू रूप से चलने के लिए महत्वपूर्ण है, और इन्वेंट्री प्रबंधन के विज्ञान को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि आपका आपूर्ति नेटवर्क बिना हिचकी के काम करेगा।
इन्वेंटरी प्रबंधन में केवल आपके पास स्टॉक की मात्रा को नियंत्रित करना शामिल नहीं होगा, लेकिन स्टॉक की पुनःपूर्ति के लिए आवश्यक समय, परिसंपत्ति प्रबंधन, इन्वेंट्री की लागत, पूर्वानुमान, दृश्यता, इन्वेंट्री के लिए भौतिक स्थान, दोषपूर्ण माल की वापसी, मूल्यांकन, और भविष्य की कीमत का पूर्वानुमान। जब आप यह सुनिश्चित करने के लिए ध्यान रखते हैं कि इन सभी विवरणों का ध्यान रखा जाता है, तो आपकी इन्वेंट्री हमेशा संतुलित रहेगी और आप कभी भी स्टॉक से बाहर नहीं होंगे। इन्वेंट्री टर्नओवर को किसी व्यवसाय के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक माना जाता है क्योंकि यह नकदी पैदा करने के लिए जिम्मेदार है, और इस प्रकार यह मुनाफा है।
एक व्यापार सूची साइट पर या उसके गोदामों में रखे कच्चे माल, भागों और तैयार माल से ज्यादा कुछ नहीं है। इन्वेंटरी को खेप पर भी रखा जा सकता है, जो तब होता है जब कोई तीसरा पक्ष किसी व्यवसाय के लिए इन्वेंट्री रखता है जब तक माल बेचा नहीं जाता है। इन्वेंटरी को एक व्यापार बैलेंस शीट पर एक संपत्ति के रूप में बताया गया है, और विनिर्माण और ऑर्डर पूर्ति चरणों के बीच एक बफर है। एक बार जब इन्वेंट्री बेच दी गई है, या निर्माण प्रक्रिया में उपयोग की जाती है, तो इसे ले जाने की लागत लेखांकन विवरण में बेची गई वस्तुओं की लागत में बहती है।
तीन अलग-अलग प्रकार की इन्वेंट्री हैं जिन्हें ट्रैक किया जा सकता है; कच्चे माल, प्रगति में काम करते हैं, और तैयार माल। कच्चे माल कच्चे शुरुआती सामग्री हैं जो विनिर्माण प्रक्रिया को ईंधन देते हैं। कच्ची सामग्री ऐसी चीजें हैं जैसे स्टील या ऑटो कंपनियों द्वारा उपयोग की जाने वाली धातुएं, या खाद्य प्रोसेसर द्वारा उपयोग किए जाने वाले भोजन और मसाले।
प्रगति में काम कुछ भी है जिसे आंशिक रूप से संसाधित किया गया है, लेकिन अभी तक एक अच्छा काम नहीं हुआ है। इसमें एक ऑटोमोबाइल शामिल होगा जिसे पूरी तरह से इकट्ठा नहीं किया गया है, या अन्य चीजों के साथ रोटी या केक बनाने के कारखाने में कच्चा आटा।
तैयार माल सभी विनिर्माण चरणों से गुजरे हैं और थोक विक्रेताओं, वितरकों या उपभोक्ताओं को बेचा जाने के लिए तैयार हैं। उदाहरणों में समाप्त ऑटोमोबाइल, कंप्यूटर या टीवी शामिल हैं, और रोटी की पाव रोटी आप अपने स्थानीय किराने की दुकान पर खरीदते हैं।
व्यवसायों को पता चलता है कि लंबी अवधि के लिए बड़ी मात्रा में इन्वेंट्री धारण करना अच्छा व्यवसाय अभ्यास नहीं है। यह खराब हो सकता है या अप्रचलन कर सकता है और काफी महंगा हो सकता है। बेशक, यह बहुत कम इन्वेंट्री रखने के लिए अच्छा नहीं है, क्योंकि व्यापार कुछ संभावित बाजार हिस्सेदारी और बिक्री पर छूट सकता है। एक संतुलन बनाना महत्वपूर्ण है, और इसने विनिर्माण संगठनों के भीतर इन्वेंट्री प्रबंधन की भूमिका निभाई है, जस्ट-इन-टाइम (जेआईटी) इन्वेंट्री सिस्टम इन्वेंट्री स्तरों के प्रबंधन का एक पसंदीदा तरीका है।

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golden rule of accounting in hindi

golden rule of accounting in Hindi
posted by Ashish kumar



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1. Personal Accounts :
व्यक्तिगत खाता(Personal Accounts) उस व्यक्ति के खाते हैं जिनके साथ व्यापार सौदा किया जाता है।
Rules of Personal Accounts
(i). Debit the receiver : General entry में प्राप्त करने वाले को Debit किया जाता है।
(ii). Credit the Giver : General entry में देने वाले को Credit किया जाता है।
2. Real Accounts:
वास्तविक खातासंपत्ति या व्यवसाय के स्वामित्व वाली चीजों के खातों को वास्तविक खाते कहा जाता है। जैसे -and a/c , building a/c Stock a/c.
RE: Accounting (लेखांकन) के Basic Rules क्या हैं?
Rules of Real Accounts
(i). Debit what comes in : General entry मेंजो Business में आये उसेDebit किया जाता है।
(ii). Credit what goes out : General entry मेंजो Businessसे जाये उसे Credit किया जाता है।
3. Nominal Accounts:
जिन खातों में व्ययहानिआय या व्यापार का लाभ दर्ज किया जाता है। उन्हेंNominal Accounts के रूप में जाना जाता है। जैसे– wages a/c, discount a/c, received a/c, interest a/c.
Rules of Nominal Accounts
(i). Debit all expenses and losses : General entry मेंसभीExpenses और Lossesको Debit किया जाता है।
(ii). Credit all income ang gains : General entry मेंसभी Incomes और Gains को Credit किया जाता है।Image result for golden rule of accounting photo

Thursday, June 27, 2019

बीएससी एग्रीकल्चर के बाद मिलते हैं कई विकल्प

ग्रेजुएशन करने के बाद युवाओं को जॉब के लिए कई ऑप्शन मिलते हैं, जिनमें वह अपनी स्वेच्छा से किसी भी फील्ड को चुनकर अपना भविष्य संवार सकता है। शैक्षणिक अथवा प्रतियोगी परीक्षा में सफलता पाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी होता है, हमारे द्वारा की गई परीक्षा की तैयारी। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि परीक्षा की तैयारी से पहले हमें अपना एक लक्ष्य तय कर लेना चाहिए। इसके बाद संबंधित परीक्षा से संबंधित विषय के महत्वपूर्ण तथ्यों को लिखे और उसका लगातार अभ्यास करें। यह कहना है जिला अस्पताल में बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ तथा आंचल मदर मिल्क बैंक के प्रभारी डॉ. धर्मसिंह मैनावत का। वे गुरुवार को दैनिक भास्कर के संवाद कार्यक्रम में फोन पर बच्चों, अभिभावकों एवं युवाओं द्वारा कॅरिअर संबंधी पूछे गए सवालों के जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि कॅरिअर बनाने के लिए विद्यार्थी को स्कूल में पढ़ते समय अपना लक्ष्य तय कर लेना चाहिए। इसके बाद वह पूरी एकाग्रता और लगन से उस दिशा में मेहनत करता है तो वह किसी भी परीक्षा में अच्छे अंकों से सफलता प्राप्त कर सकता है। वहीं उन्होंने युवाओं को जानकारी दी कि हमेशा अभ्यार्थियों को लक्ष्य बनाकर तैयारी पर फोकस करना चाहिए। यदि लक्ष्य बनाकर तैयारी की तो निश्चित रूप से सफलता मिलेगी।

प्रश्न: बीएसटीसी कर रहा हूं, पुलिस सेवा में जाना है। मोहित गोस्वामी, बसेड़ी।

उत्तर: सबसे पहले तो आप करना क्या चाहते हैं, यह निर्धारित करें। कारण है कि आप बीएसटीसी कर रहे हैं तो इससे पुलिस भर्ती का कोई संबंध नहीं है। पुलिस सेवा में जाने के लिए सबसे पहले तो आपको अपनी फिजिकल फिटनेस ठीक करनी होगी। पुलिस भर्ती में दौड़, ऊंची कूद, लंबी कूद का इम्तिहान होता है। वैसे आप बीएसटीसी करने के बाद शैक्षणिक क्षेत्र में भी अपना कॅरिअर बना सकते हैं।

प्रश्न: बेटे को कैसे प्रेरित करूं, तरीका बताएं। रामबाबू, अभिभावक चिलाचौंद।

उत्तर: आपके बेटे प्रदीप ने 12वीं कक्षा गणित विषय से पास कर ली है और आपने अब तक उसके मन की बात जानने की कोशिश नहीं की। इसलिए सबसे पहले तो यह जानने की कोशिश करें कि प्रदीप भविष्य में किस फील्ड में जाना चाहता है और उसकी रुचि किस में है। वैसे उसके लिए इंजीनियरिंग का क्षेत्र सबसे ज्यादा अच्छा रहेगा। इसके बाद उसे प्रेरित करें। इसके लिए किसी विषय विशेषज्ञ के पास बेटे को ले जाकर काउंसलिंग भी करा सकते हैं। चूंकि गणित विषय उसका पसंदीदा है तो आईआईटी में जाने के लिए प्रेरित करें। वह सिविल सर्विसेज की तैयारी भी कर सकता है।

प्रश्न: बीएससी एग्रीकल्चर में कॅरिअर की संभावनाएंं क्या हैं।

अजय कुमार, सरमथुरा।

उत्तर: आपने 12वीं कक्षा एग्रीकल्चर स्ट्रीम में की है तो आप इसी में अपनी बीएससी भी करें। एग्रीकल्चर के क्षेत्र में कॅरिअर बनाने की अपार संभावनाए हैं। बीएससी कंपलीट पूरी होने के बाद कृषि अनुसंधान केंद्र में साइंटिस्ट बनकर अपना कॅरिअर बना सकते हैं। इसके अलावा बीएससी के बाद कई सारे ऑप्शन आपको मिल जाएंगे। एग्रीकल्चर विषय में ही आप कोई सब्जेक्ट चुनकर पीएचडी भी कर सकते हैं। पीएचडी के बाद सरकारी एग्रीकल्चर कॉलेज में अपना कॅरिअर बना सकते हैं।

प्रश्न: आईएएस की तैयारी कैसे की जाए। सचिन, सरमथुरा।

उत्तर: सबसे पहले तो आप अपना ग्रेजुएशन पूरा करें। इसके साथ-साथ ही आईएएस परीक्षा की तैयारी भी शुरू कर दें। तैयारी के लिए अपनी रुचि के मुताबिक विषयों का चयन करें। अच्छे लेखकों की पुस्तकों का अध्ययन करने के साथ-साथ पिछली कक्षाओं में पढ़ाए गए विषयों का भी रिवीजन करते रहें। इसके अलावा सामान्य ज्ञान व आईएएस परीक्षा के लिए चुने विषय का गहराई आैर एकाग्रता के साथ अध्ययन करें। सामान्य ज्ञान और करंट अफेयर्स की जानकारी के लिए प्रतिदिन समाचार पत्र पढ़ने की आदत डालें। इसके साथ-साथ ही अपना आत्मविश्वास भी बढ़ाएं। इस परीक्षा के लिए विषय वहीं चुनें जो आपको सबसे अच्छे लगते हैं और जिन पर आपकी अच्छी कमांड हो।

प्रश्न: बीएससी के बाद जॉब के लिए फील्ड बताएं।

विशंभर बघेला, बसईनवाब।

उत्तर: आजकल जॉब तो हर फील्ड में है। बस आपको यह सोचकर तय करना है कि आप किस फील्ड में अपना भविष्य बनाना चाहते हैं। इसके लिए आप अपनी रुचि बताकर किसी से सलाह-मशविरा भी कर सकते हैं। वैसे भी अब किसी भी क्षेत्र में जाने के लिए प्रतियोगी परीक्षा देनी पड़ती है। परीक्षा की तैयारी के लिए आपको मेहनत भी करनी होगी। किसी दवा कंपनी में एमआर (मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव) बनने के लिए आपको इंग्लिश की नॉलेज होना बहुत जरूरी है। इसके लिए दवा कंपनियां अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित कराती हैं। इसमें अप्लाई करने के बाद इंटरव्यू होता है।

प्रश्न: सेकंड ग्रेड शिक्षक परीक्षा की तैयारी कैसे करूं। विवेक कुमार तिवारी, चिलाचौद बाड़ी।

उत्तर: सेकंड ग्रेड शिक्षक बनने के लिए आप सबसे पहले तो परीक्षा के लिए अपनी पसंद के विषयों का चयन करें और उनको अच्छे से याद करें। इसके बाद परीक्षा के लिए भी उन्हीं विषयों को चुनें जिनकी आपने तैयारी की है। पिछले वर्षों में हुई परीक्षाओं के पेपर्स का भी ध्यानपूर्वक अध्ययन करें। वहीं ध्यान दें कि पिछले वर्षों में किस-किस विषय के लिए कितनी-कितनी पोस्ट निकली थीं। तैयारी के लिए आप अपना टाइम टेबल भी तय करें और विषय विशेषज्ञ से भी परामर्श करें। आप कोचिंग क्लास भी ज्वाइन कर सकते हैं।

प्रश्न: आरएएस परीक्षा की तैयारी करने का तरीका बताएं। राजकुमार शर्मा, धौलपुर

उत्तर: इसके लिए पिछले वर्ष के पेपरों की ठीक तरह से स्टडी करें। इसके अलावा स्मार्ट तरीके से तैयारी करें। स्मार्ट वर्क का मतलब है कि स्टडी करने के साथ-साथ उनके नोट्स भी बनाते चले। कारण है कि परीक्षा की तैयारी के लिए जब कोई भी सब्जेक्ट रटा जाता है तो अक्सर परीक्षा देते समय वह दिमाग से निकल जाता है। इसलिए जब लिखकर भी तैयारी करेंगे तो वह मानस पटल पर लंबे अर्से तक याद रहेगा। इसके अलावा एनसीईआरटी की बुक्स का भी अध्ययन करें। इस परीक्षा के लिए प्री की तैयारी के साथ-साथ मेंस पर भी फोकस करें।

प्रश्न: प्रशासनिक सेवा में जाने के लिए क्या करूं।

रामकुमार मनियां,

उत्तर: सबसे पहले तो मन लगाकर अपना ग्रेजुएशन अच्छे नंबरों से पूरा करें। इसके बाद आरपीएससी की तैयारी करें। आरपीएससी में आप उन्हीं विषयों का चुनाव करें, जो आपको सबसे अच्छे लगते हैं और आपकी कमांड भी उन पर अच्छी हो। यह सारी तैयारी आपको यह भी सामने रखकर करनी होगी कि आप प्रशासनिक सेवा के किस फील्ड में जाना चाहते हैं। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी सिलेबस के अनुसार करें। पुराने प्रश्नपत्रों का भी अध्ययन करें। 

Wednesday, June 26, 2019

12 वीं के बाद क्या करें – उच्च शिक्षा या नौकरी, पूरी जानकारी यहाँ प्राप्त करें

अब तक बहुत से 12वीं बोर्ड परीक्षा के रिजल्ट घोषित हो चुके हैं या फिर घोषित होने वाले हैं और फिर इसके बाद शुरू होगी आपकी सबसे बड़ी समस्या की अब 12वीं के बाद क्या किया जाये, आगे पढ़ा जाये या नौकरी की तैयारी की जाये। आप सभी में से किसी ने 12वीं विज्ञान से की होगी तो किसी ने 12वीं कॉमर्स से या 12वीं आर्ट्स से की होगी तो सब की समस्या एक सी ही होती है इस वक़्त कि अगर आगे की पढ़ाई की जाये तो क्या कोर्स  किया जाये की भविष्य उज्जवल हो या अगर नौकरी की तैयारी करें तो किस पद के लिए करें जो की 12वीं पास के लिए हो। इन सब प्रश्नों के कारण आपके मन में बहुत ज्यादा उथल-पुथल होने लगती है और इस वक्त उनको गाइड करने वाला भी कोई नहीं होता है, हाँ अगर आपके घर में पढ़े लिखे लोग हैं तो वो आपको बता सकते है की 12वीं के बाद क्या कर सकते हो। जिनके घर में कोई गाइड करने वाला नहीं है तो उनके लिए हम है। हम आपकी इन सारी समस्या का समाधान करने के लिए ही है यहाँ।

12 वीं के बाद के विकल्प

जब हम सब दसवीं में थे तब तक हमे सारे सब्जेक्ट पढ़ने पड़ते थे लेकिन दसवीं के बाद हमने अपनी पसंद के विषय का चुनाव किया की जैसे की हमे आगे इंजीनियरिंग या डॉक्टर की तैयारी करनी है तो हमने विज्ञान शाखा का चुनाव किया, अकाउंट के क्षेत्र के लिए कॉमर्स का चुनाव किया तथा वकील, सिविल या पॉलिटिक्स के क्षेत्र के लिए आर्ट्स का चुनाव किया था इसी तरह आपको अपने उसी चुने हुए क्षेत्र की ओर आगे बढ़ना है जिसे की आपकी रूचि थी या रूचि है। लेकिन कठिनाई ये आती है की अब 12वीं के बाद आपको समझ नहीं आ रहा होता की आगे क्या किया जाये क्यों की आज-कल इतने सारे कोर्स उपलब्ध है की आप भ्रमित हो जाते हो। चलिए हम आपको बताते है की आप आगे क्या कोर्स कर सकते हो या किस नौकरी के लिए तैयारी कर सकते हो। after-12-board-aglasem

12वीं विज्ञान के बाद (12th Science Stream ke baad)

हम सबको पता है की जो बच्चे दसवीं में अच्छे अंक प्राप्त करते हैं अक्सर वही 12वीं में साइंस का चुनाव करते हैं। साइंस स्ट्रीम थोड़ी सी मुश्किल होती है अतः जो बच्चे इस स्ट्रीम को चुनते हैं वे अक्सर इंजीनियर या डॉक्टर के लिए तैयारी करते हैं तथा अन्य कुछ बच्चे कॉमर्स या आर्ट्स लेते हैं जिन्हे बैंक या सिविल / वकील / पॉलिटिक्स में रूचि होती है।
वहीं विज्ञान स्ट्रीम में भी बच्चों के पास चुने हुए विषय होते हैं, आपके पास भौतिक, रसायन विज्ञान व गणित विषय या भौतिक, रसायन विज्ञान व बायोलॉजी विषय होते हैं या गणित व बायोलॉजी दोनों ही विषय होते हैं। हमने आपकी सुविधा के लिए विज्ञान विषयों के आधार पर जानकारी दी है आप अपने विषय के अनुसार जानकारी देख सकते हैं।
12वीं के बाद बी.एससी
12वीं के बाद बी.एससी कोई भी छात्र कर सकता है। 12 के बाद आप बी.एससी इन मैथ / फिजिक्स / केमिस्ट्री /बायोलॉजी, बी.एससी एग्रीकल्चरइन में से किसी से भी कर सकते हैं। बी.एससी के बाद आप मास्टर की डिग्री मतलब एम.एससी कर सकते हैं या आप एम.बी.ए भी कर सकते हैं। बी.एससी एक कॉमन कोर्स है जो विज्ञान स्ट्रीम से 12वीं पास कोई भी छात्र कर सकता है।

12th PCBM के साथ (Physics, Chemistry, Biology, Maths)

जिन बच्चों ने भौतिक, रसायन विज्ञान, बायोलॉजी व गणित विषयों के साथ कक्षा 12 पूरी की है वे यहाँ नीचे दिए हुए फ्लो-चार्ट से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं की उन्हें किस क्षेत्र में कैरियर बनाना चाहिए। हमने यहाँ कुछ चुनिंदा कोर्सेज के नाम बताए है जिन्हे अपना कर आप अपना भविष्य उज्जवल कर सकते हैं।after-12-board-aglasem12th PCB के साथ (Physics, Chemistry, Biology)
जिन बच्चों ने 12वीं भौतिक, केमिस्ट्री और बायोलॉजी में किया है वे बच्चे कक्षा 12 के बाद मेडिकल जैसे MBBS व BDS के एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी कर सकते हैं। वैसे इसके अतिरिक्त और भी विकल्प मौजूद हैं। आप बी.फार्मा, बी.एससी नर्सिंग, पैरामेडिकल, BAMS यानी बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन ऐंड सर्जरी आदि कोर्स कर सकते हैं। आप नीचे दिए हुए इमेज से १२वीं के आगे के लिए कोर्सेज देख सकते हो।after-12-board-aglasem

12th PCM के साथ (Physics, Chemistry, Maths)

फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स से 12वीं करने वाले अभियार्थी बारहवीं के बाद इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं , इसके लिए आपको आईआईटी जेईई जैसे प्रवेश परीक्षा की तैयारी करनी चाहिए। इसके अतिरिक्त आप बी.सी.ए, बी.एससी, बी.आर्च, होटल मैनेजमेंट आदि जैसे कोई कोर्स कर सकते हैं इसके उपरांत आप अच्छी नौकरी प्राप्त कर सकते हैं। जिन बच्चों ने 12वीं गणित, भौतिकी और रसायन विज्ञान से की है वो नीचे दिए हुए इमेज में अपने अनुसार कोर्स देख सकते हैं। after-12-board-aglasem
12वीं के बाद NDA
अगर आप 12वीं के आप इंडियन आर्मी, इंडियन एयर फ़ोर्स या इंडियन नेवी में नौकरी करना चाहते हैं तो आप NDA की तैयारी कर सकते हैं। एनडीए आर्मी, एयरफोर्स और नेवी में भर्ती के लिए सम्मिलित प्रवेश परीक्षा है।

12वीं वाणिज्य के बाद (12th Commerce Stream ke baad)

जो बच्चे वाणिज्य या कॉमर्स से 12वीं कक्षा पास कर चुके है वे बी.कॉम, बी.बी.ए, बी.बी.आई, सीए, बीएमएस आदि कोर्स कर सकते हैं। इन कोर्सेज के बाद आप अकाउंटेंट, कंपनी सेक्रेटरी, बैंक, मैनेजमेंट आदि में नौकरी प्राप्त कर सकते हो। नीचे दिए हुए इमेज से आप अच्छे से अपने मुताबिक कोर्स को समझ सकते हैं। after-12-board-aglasem

12वीं आर्ट्स के बाद (12th Arts Stream ke baad)

बहुत से लोग बोलते हैं की आर्ट्स से 12वीं के बाद कोई स्कोप नहीं है तो ऐसा कुछ भी नहीं सब मिथ है। आप आर्ट्स से होने के बावजूद भी अच्छा कमा सकते हो। हाँ बस आपको इसके लिए कोई अच्छा सा कोर्स करना होगा, आप वकील के लिए तैयारी कर सकते हो, सोशल वर्कर बन के काम कर सकते हो, या आप सरकारी नौकरी की भी तैयारी कर सकते हो।after-12-board-aglasem

12वीं के बाद कुछ अन्य प्रचिलित कोर्स

तो आप सब 12वीं के बाद कोई अच्छा सा प्रोफेशनल कोर्स, डिप्लोमा, वोकेशनल कोर्स आदि ऐसा कुछ कर सकते हो। तो चलिए आपको बताते है कुछ ऐसे कोर्सेज के बारे में जिनसे आप एक मोटी रकम तो कमा सकते ही है साथ ही साथ आप इंजॉय भी कर सकते हैं।

इवेंट मैनेजमेंट

अगर आप पार्टियों के शौकीन है तो आपके लिए इससे अच्छा कोर्स कोई दूसरा नहीं है। इस कोर्स से आप एक अच्छी नौकरी तो पा ही जायेंगे तथा आप अपने शौक को भी पूरा कर पाएंगे। इवेंट मैनेजमेंट अंतराष्ट्रीय स्तर पर बहुत तेज़ी से बढ़ने वाली फील्ड है। इसमें भविष्य की बहुत संभावनाएं हैं।

एनीमेशन कोर्स

एनीमेशन इसका नाम तो आपने सुना ही होगा यहाँ तक की आपने देखा भी होगा। आज कल जितने भी कॉर्टून फ़िल्में बनती हैं उन सब में ही एनीमेशन का उपयोग होता है और तो और फिल्मों में साई-फाई एक्शन सीन के लिए एनीमेशन का यूज़ बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है तो इस क्षेत्र में भी भविष्य की बहुत संभावनाएं हैं।

टूरिज्म कोर्स

अगर आप घूमने-फिरने के शौकीन है तो ये कोर्स आपके लिए ही बना है। आप इस कोर्स के बाद घुमते हुए अच्छे खासे पैसे भी कमा सकते हैं। अब तो देश भर में बहुत सारे कॉलेज इस कोर्स को करवा रहे हैं और इसकी फीस भी प्रोफेशनल कोर्सेज की तुलना में बहुत काम है।

मास कम्युनिकेशन और जर्नलिज्म

अगर आप पत्र्कारिता के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो आप मास कम्युनिकेशन का कोर्स कर सकते हैं। इसके द्वारा आप किसी न्यूज़ चैनल में नौकरी पा सकते हो, वीडियोग्राफी, एक्टिंग आदि में अपना करियर बना सकते हो।

लैंग्वेज कोर्स

अगर आपको नयी नयी भाषाएँ सीखने में अच्छा लगता है तो आप लैंग्वेज कोर्स ज्वाइन कर सकते हैं। इस दू-भाषिए कोर्स के आप ट्रेवल गाइड जैसा पार्ट टाइम जॉब कर के भी अच्छे पैसे कमा सकते हैं तथा साथ ही साथ आप सरकारी नौकरी भी प्राप्त कर सकते हो या किसी अच्छी कंपनी में मोटी पगार पर नौकरी प्राप्त कर सकते हो।

एग्रीकल्चर क्षेत्र

आज कल कृषि क्षेत्र में रोजगार के बहुत उज्जवल भविष्य है। भारतीय कृषि आज आधुनिकता की ओर अग्रसर है तो इसके लिए बहुत सारे एग्रीकल्चर इंजीनियर, डेरी इंजीनियर आदि की आवश्यकता है। आप इनमे भी अपना कैरियर बना सकते हैं इसके लिए बहुत सारे एग्रीकल्चर कोर्स उपलब्ध हैं।

होटल मैनेजमेंट

आज कल के युवाओं के बीच पसंदीदा कोर्स है ये। होटल मैनेजमेंट आज के समय का बहुत ही ज्यादा प्रचलित कोर्स है। इसमें आप होटल से सम्बंधित जानकारी प्राप्त करते हो जैसे की आप सेफ बन सकते हो और देश-विदेश में होटल में अच्छी नौकरी प्राप्त कर सकते हो।

Thursday, June 20, 2019

yoga divas (21 June 2019)


योग के 10 प्रमुख आसन और उनके लाभ

By ashish kumar, posted on 21 june 2019


योग आसन
दोस्तों, 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस है. इस विशेष दिवस पर हम अच्छीखबर के सभी पाठकों के साथ योग अभ्यास के कुछ पहलुओं को आपके सामने रखना चाहते हैं जिससे आप सब भी योग अपनाएं और स्वस्थ व सुखी जीवन जीयें।

योग क्या है?

Contents [show]
योग का अर्थ है जोड़ना. जीवात्मा का परमात्मा से मिल जाना, पूरी तरह से एक हो जाना ही योग है। योगाचार्य महर्षि पतंजली ने सम्पूर्ण योग के रहस्य को अपने योगदर्शन में सूत्रों के रूप में प्रस्तुत किया है.
उनके अनुसार, “चित्त को एक जगह स्थापित करना योग है।

अष्टांग योग क्या है?

हमारे ऋषि मुनियों ने योग के द्वारा शरीर मन और प्राण की शुद्धि तथा परमात्मा की प्राप्ति के लिए आठ प्रकार के साधन बताएँ हैं, जिसे अष्टांग योग कहते हैं..
ये निम्न हैं-
  1. यम
  2. नियम
  3. आसन
  4. प्राणायाम
  5. प्रात्याहार
  6. धारणा
  7. ध्यान
  8. समाधि
इस पोस्ट में हम कुछ आसान और प्राणायाम के बारे में बात करेंगे जिसे आप घर पर बैठकर आसानी से कर सकते हैं और अपने जीवन को निरोगी बना सकते हैं।

आसान से क्या तात्पर्य है और उसके प्रकार कौन से हैं?

आसान से तात्पर्य शरीर की वह स्थिति है जिसमें आप अपने शरीर और मन को शांत स्थिर और सुख से रख सकें.
स्थिरसुखमासनम्: सुखपूर्वक बिना कष्ट के एक ही स्थिति में अधिक से अधिक समय तक बैठने की क्षमता को आसन कहते हैं।
योग शास्त्रों के परम्परानुसार चौरासी लाख आसन हैं और ये सभी जीव जंतुओं के नाम पर आधारित हैं। इन आसनों के बारे में कोई नहीं जानता इसलिए चौरासी आसनों को ही प्रमुख माना गया है. और वर्तमान में बत्तीस आसन ही प्रसिद्ध हैं।
आसनों को अभ्यास शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक रूप से स्वास्थ्य लाभ एवं उपचार के लिए किया जाता है।
आसनों को दो समूहों में बांटा गया है:-
  • गतिशील आसान
  • स्थिर आसान
गतिशील आसन- वे आसन जिनमे शरीर शक्ति के साथ गतिशील रहता है.
स्थिर आसन- वे आसन जिनमे अभ्यास को शरीर में बहुत ही कम या बिना गति के किया जाता है.

आइये अपने शरीर को स्वस्थ बनाने के लिए इन आसनों के बारे में जानते हैं / Major Types of Yogasana in Hindi

स्वस्तिकासन / Swastikasana 

स्वस्तिकासन Swastikasanaस्थिति:- स्वच्छ कम्बल या कपडे पर पैर फैलाकर बैठें।
विधि:- बाएं पैर को घुटने से मोड़कर दाहिने जंघा और पिंडली (calf, घुटने के नीचे का हिस्सा) और के बीच इस प्रकार स्थापित करें की बाएं पैर का तल छिप जाये उसके बाद दाहिने पैर के पंजे और तल को बाएं पैर के नीचे से जांघ और पिंडली के मध्य स्थापित करने से स्वस्तिकासन बन जाता है। ध्यान मुद्रा में बैठें तथा रीढ़ (spine) सीधी कर श्वास खींचकर यथाशक्ति रोकें।इसी प्रक्रिया को पैर बदलकर भी करें।
लाभ:-
  • पैरों का दर्द, पसीना आना दूर होता है।
  • पैरों का गर्म या ठंडापन दूर होता है.. ध्यान हेतु बढ़िया आसन है।

गोमुखासन /Gomukhasana

Gomukhasana गोमुखासनविधि:-
  • दोनों पैर सामने फैलाकर बैठें। बाएं पैर को मोड़कर एड़ी को दाएं नितम्ब (buttocks) के पास रखें।
  • दायें पैर को मोड़कर बाएं पैर के ऊपर इस प्रकार रखें की दोनों घुटने एक दूसरे के ऊपर हो जाएँ।
  • दायें हाथ को ऊपर उठाकर पीठ की ओर मुडिए तथा बाएं हाथ को पीठ के पीछे नीचे से लाकर दायें हाथ को पकडिये .. गर्दन और कमर सीधी रहे।
  • एक ओ़र से लगभग एक मिनट तक करने के पश्चात दूसरी ओ़र से इसी प्रकार करें।
Tip:- जिस ओ़र का पैर ऊपर रखा जाए उसी ओ़र का (दाए/बाएं) हाथ ऊपर रखें.
लाभ:-
  • अंडकोष वृद्धि एवं आंत्र वृद्धि में विशेष लाभप्रद है।
  • धातुरोग, बहुमूत्र एवं स्त्री रोगों में लाभकारी है।
  • यकृत, गुर्दे एवं वक्ष स्थल को बल देता है। संधिवात, गाठिया को दूर करता है।


गोरक्षासन Gorakhshasanaगोरक्षासन / Gorakhshasana

विधि:-
  • दोनों पैरों की एडी तथा पंजे आपस में मिलाकर सामने रखिये।
  • अब सीवनी नाड़ी (गुदा एवं मूत्रेन्द्रिय के मध्य) को एडियों पर रखते हुए उस पर बैठ जाइए। दोनों घुटने भूमि पर टिके हुए हों।
  • हाथों को ज्ञान मुद्रा की स्थिति में घुटनों पर रखें।
लाभ:-
  • मांसपेशियो में रक्त संचार ठीक रूप से होकर वे स्वस्थ होती है.
  • मूलबंध को स्वाभाविक रूप से लगाने और ब्रम्हचर्य कायम रखने में यह आसन सहायक है।
  • इन्द्रियों की चंचलता समाप्त कर मन में शांति प्रदान करता है. इसीलिए इसका नाम गोरक्षासन है।

अर्द्धमत्स्येन्द्रासन /Ardha Matsyendrasana

ardha matsyendrasana अर्द्धमत्स्येन्द्रासनविधि:-
  • दोनों पैर सामने फैलाकर बैठें. बाएं पैर को मोड़कर एडी को नितम्ब के पास लगाएं।
  • बाएं पैर को दायें पैर के घुटने के पास बाहर की ओ़र भूमि पर रखें।
  • बाएं हाथ को दायें घुटने के समीप बाहर की ओ़र सीधा रखते हुए दायें पैर के पंजे को पकडें।
  • दायें हाथ को पीठ के पीछे से घुमाकर पीछे की ओ़र देखें।
  • इसी प्रकार दूसरी ओ़र से इस आसन को करें।
लाभ:-
  • मधुमेह (diabetes) एवं कमरदर्द में लाभकारी।  Related Post: कैसे करें डायबिटीज कण्ट्रोल?
  • पृष्ठ देश की सभी नस नाड़ियों में (जो मेरुदंड (Vertebra) के इर्द-गिर्द फैली हुई है.) रक्त संचार को सुचारू रूप से चलाता है।
  • उदर (पेट) विकारों को दूर कर आँखों को बल प्रदान करता है।

योगमुद्रासन / Yoga Mudrasana

योगमुद्रासन / Yoga Mudrasanaस्थिति- भूमि पर पैर सामने फैलाकर बैठ जाइए.
  • विधि-
  • बाएं पैर को उठाकर दायीं जांघ पर इस प्रकार लगाइए की बाएं पैर की एडी नाभि केनीचे आये।
  • दायें पैर को उठाकर इस तरह लाइए की बाएं पैर की एडी के साथ नाभि के नीचे मिल जाए।
  • दोनों हाथ पीछे ले जाकर बाएं हाथ की कलाई को दाहिने हाथ से पकडें. फिर श्वास छोड़ते हुए।
  • सामने की ओ़र झुकते हुए नाक को जमीन से लगाने का प्रयास करें. हाथ बदलकर क्रिया करें।
  • पुनः पैर बदलकर पुनरावृत्ति करें।
लाभ-  चेहरा सुन्दर, स्वभाव विनम्र व मन एकाग्र होता है.

उदाराकर्षण या शंखासन

स्थिति:- काग आसन में बैठ जाइए।
विधि:-
  • हाथों को घुटनों पर रखते हुए पंजों के बल उकड़ू (कागासन) बैठ जाइए। पैरों में लगभग एक सवा फूट का अंतर होना चाहिए।
  • श्वास अंदर भरते हुए दायें घुटने को बाएं पैर के पंजे के पास टिकाइए तथा बाएं घुटने को दायीं तरफ झुकाइए।
  • गर्दन को बाईं ओ़र से पीछे की ओ़र घुमाइए व पीछे देखिये।
  • थोड़े समय रुकने के पश्चात श्वास छोड़ते हुए बीच में आ जाइये. इसी प्रकार दूसरी ओ़र से करें।
लाभ:-
  • यह शंखप्रक्षालन की एक क्रिया है।
  • सभी प्रकार के उदर रोग तथा कब्ज मंदागिनी, गैस, अम्ल पित्त, खट्टी-खट्टी डकारों का आना एवं बवासीर आदि निश्चित रूप से दूर होते हैं।
  • आँत, गुर्दे, अग्नाशय तथा तिल्ली सम्बन्धी सभी रोगों में लाभप्रद है।

सर्वांगासन 

सर्वांगासन Sarvangasanaस्थिति:- दरी या कम्बल बिछाकर पीठ के बल लेट जाइए.
विधि:-
  • दोनों पैरों को धीरे –धीरे उठाकर 90 अंश तक लाएं. बाहों और कोहनियों की सहायता से शरीर के निचले भाग को इतना ऊपर ले जाएँ की वह कन्धों पर सीधा खड़ा हो जाए।
  • पीठ को हाथों का सहारा दें .. हाथों के सहारे से पीठ को दबाएँ . कंठ से ठुड्ठी लगाकर यथाशक्ति करें।
  • फिर धीरे-धीरे पूर्व अवस्था में पहले पीठ को जमीन से टिकाएं फिर पैरों को भी धीरे-धीरे सीधा करें।
लाभ:-
  • थायराइड को सक्रिय एवं स्वस्थ बनाता है।
  • मोटापा, दुर्बलता, कद वृद्धि की कमी एवं थकान आदि विकार दूर होते हैं।
  • एड्रिनल, शुक्र ग्रंथि एवं डिम्ब ग्रंथियों को सबल बनाता है।

प्राणायाम / Pranayam

प्राण का अर्थ, ऊर्जा अथवा जीवनी शक्ति है तथा आयाम का तात्पर्य ऊर्जा को नियंत्रित करनाहै। इस नाडीशोधन प्राणायाम के अर्थ में प्राणायाम का तात्पर्य एक ऐसी क्रिया से है जिसके द्वारा प्राण का प्रसार विस्तार किया जाता है तथा उसे नियंत्रण में भी रखा जाता है.
यहाँ 3 प्रमुख प्राणायाम के बारे में चर्चा की जा रही है:-
अनुलोम-विलोम प्राणायाम / Anulom Vilom Pranayam
Anulom Vilom Pranayamविधि:-
  • ध्यान के आसान में बैठें।
  • बायीं नासिका से श्वास धीरे-धीरे भीतर खींचे।
  • श्वास यथाशक्ति रोकने (कुम्भक) के पश्चात दायें स्वर से श्वास छोड़ दें।
  • पुनः दायीं नाशिका से श्वास खीचें।
  • यथाशक्ति श्वास रूकने (कुम्भक) के बाद स्वर से श्वास धीरे-धीरे निकाल दें।
  • जिस स्वर से श्वास छोड़ें उसी स्वर से पुनः श्वास लें और यथाशक्ति भीतर रोककर रखें… क्रिया सावधानी पूर्वक करें, जल्दबाजी ने करें।
लाभ:-
  • शरीर की सम्पूर्ण नस नाडियाँ शुद्ध होती हैं।
  • शरीर तेजस्वी एवं फुर्तीला बनता है।
  • भूख बढती है।
  • रक्त शुद्ध होता है।
सावधानी:-
  • नाक पर उँगलियों को रखते समय उसे इतना न दबाएँ की नाक कि स्थिति टेढ़ी हो जाए।
  • श्वास की गति सहज ही रहे।
  • कुम्भक को अधिक समय तक न करें।

कपालभाति प्राणायाम / Kapalbhati Pranayam

Kapalbhati कपालभातिविधि:-
  • कपालभाति प्राणायाम का शाब्दिक अर्थ है, मष्तिष्क की आभा को बढाने वाली क्रिया।
  • इस प्राणायाम की स्थिति ठीक भस्त्रिका के ही सामान होती है परन्तु इस प्राणायाम में रेचक अर्थात श्वास की शक्ति पूर्वक बाहर छोड़ने में जोड़ दिया जाता है।
  • श्वास लेने में जोर ने देकर छोड़ने में ध्यान केंद्रित किया जाता है।
  • कपालभाति प्राणायाम में पेट के पिचकाने और फुलाने की क्रिया पर जोर दिया जाता है।
  • इस प्राणायाम को यथाशक्ति अधिक से अधिक करें।
लाभ:-
  • हृदय, फेफड़े एवं मष्तिष्क के रोग दूर होते हैं।
  • कफ, दमा, श्वास रोगों में लाभदायक है।
  • मोटापा, मधुमेह, कब्ज एवं अम्ल पित्त के रोग दूर होते हैं।
  • मस्तिष्क एवं मुख मंडल का ओज बढ़ता है।

भ्रामरी प्राणायाम / Bhramri Panayam

स्थिति:- किसी ध्यान के आसान में बैठें.
Bhramari Pranayam भ्रामरी प्राणायामविधि:-
  • आसन में बैठकर रीढ़ को सीधा कर हाथों को घुटनों पर रखें . तर्जनी को कान के अंदर डालें।
  • दोनों नाक के नथुनों से श्वास को धीरे-धीरे ओम शब्द का उच्चारण करने के पश्चात मधुर आवाज में कंठ से भौंरे के समान गुंजन करें।
  • नाक से श्वास को धीरे-धीरे बाहर छोड़ दे।
  • पूरा श्वास निकाल देने के पश्चात भ्रमर की मधुर आवाज अपने आप बंद होगी।
  • इस प्राणायाम को तीन से पांच बार करें।
लाभ:-
  • वाणी तथा स्वर में मधुरता आती है।
  • ह्रदय रोग के लिए फायदेमंद है।
  • मन की चंचलता दूर होती है एवं मन एकाग्र होता है।
  • पेट के विकारों का शमन करती है।
  • उच्च रक्त चाप पर नियंत्रण करता है।
धन्यवाद !